चातुर्मास मे छुपा है आरोग्य मंत्र (आरोग्य मंत्र – ०२) BLOG – 31

क्या आप जानते है की हमारे हर एक त्यौहार के पीछे शास्त्र छुपा है ?

चातुर्मास के पीछे भी आरोग्य मंत्र जुड़ा है |

जानना चाहेंगे कैसे ?

पुराने जमाने मे वर्णव्यवस्था नुसार कुछ वर्ण के लोगो को शास्त्र का ज्ञान था…. तो अन्य वर्ण के लोग निरोगी रहे इसलिए शास्त्र के सिद्धान्त धर्म के उपदेश के साथ बताए गए ताकि धर्म का पालन करके लोग निरोगी रहे |

तो जानते है चातुर्मास के पीछे छुपा शास्त्र |

चातुर्मास मतलब – चातु याने चार और मास याने महीने |

चातुर्मास याने बारिश के चार महीने |

चातुर्मास की शुरुवात बारिश के आने से होती है | हर राज्य मे बारिश शुरू होने की तारीखे थोड़ी आगे पीछे होती है इसलिए हर राज्य मे चातुर्मास की शुरुवात भी थोडी आगे पीछे होती है |

आयुर्वेदनुसार अपने शरीर की पचनशक्ती सूरज की शक्ती से जुड़ी होती है। तो इन चार बारिश के महीनो मे सुरज बादलो से घिरा होता है इसलिए हमारी पचनशक्ती भी बहुत कम हुई होती है | इसलिए चातुर्मास मे उपवास को महत्व है |

बारिश मे पचन शक्ती कम होने पर अगर हम खाने मे भारी पदार्थ खाये जैसे fermented products या दही ,पनीरआदि तो हम जरूर बीमार पड़ते है | इसलिए इस मौसम मे हमे सर्दी ,खांसी ,पेटदर्द ,उल्टी ,जुलाब जैसी बीमारीया अधिक होती है |

चातुर्मास में बताया गया है कि “ उपवास ” करे|उपवास करने से हमारी पचन शक्ती अच्छी रहती है |

उपवास का मतलब – कम अन्न खाये , हल्का अन्न खाये |

इसलिए शास्त्रो के नुसार धर्म ने साल के जादा से जादा उपवास इन चार महीनो मे बिठाये है ताकि हम उपवास करके निरोगी रह सके |

तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र – ०२ है – ” चातुर्मास / बारिश के दिनों में उपवास करेऔर निरोगी रहे | ”  

अगले ब्लॉग में हम जानेंगे की “उपवास कैसे करना चाहिए ?”

तब तक स्टे हेल्धी, स्टे ब्लेस्ड |

तेल अपनाए दर्द मिटाए | (घरेलू नुस्का नं -03) Blog. – 24

आयुर्वेद के अनुसार वर्षाऋतु मे वात बढता है और वात के साथ बढ़ते है सब तरह के दर्द जैसे घुटनो मे दर्द ,बदन मे दर्द ,पेट मे दर्द

तो वर्षाऋतु का दर्द नाशक है – तैल

  • सांधो में दर्द के साथ सुजन हो तो – उष्ण, गरम गुण वाले तैल अपनाए जैसे महाविश्वगर्भ तैल , सरसों का तैल|
  • अगर सांधो में चलते वक्त और काम करते वक्त दर्द हो और उसके साथ कमजोरी हो तो ताकत देने वाले तैल अपनाए
  • जैसे चंदनबला लाक्षादी तैल, महानारायन तैल
  • रात सोते वक्त एक या दो बूंद तैल नाभि मे डालकर , हल्के से मसाज करके सोए |

इन सबसे शरीर और सांधो का वात कम होता है |


आयुर्वेद ने वर्षा ऋतु मे आहार मे तैल का सेवन लाभदायक बताया है | तो अगर आपको ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रोल या मोटापा ऐसे बीमारियां नही हो तो इस ऋतु मे तली हुई चीज खाना लाभदायक होता है | इससे वात काम होता है|

वैसे भी हमे बारिश मे तली हुई चीजे खाने की इच्छा होती है जैसे वडा पाव या फिर भजिया

तो कैसे लगा हमारा आज का नुक्सा ?
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तब तक के लिए
Stay Healthy…. Stay Blessed

सुंठ- बारिश की बीमारियों पे रामबाण उपाय (घरेलू नुस्का नं – 02 ) Blog. – 22

बारिश बढने लगती है तो उसके साथ बारिश से होने वाली बीमारिया भी बढने लगती है | विशेषतः पेट दर्द, सांधो में जकड़ाहट, दर्द, हाथ -पैर ठंडे पड़ना या फिर सर्दी |

इस ऋतु का नुक्सा है – सुंठ या फिर सुंठ पावडर|

  • अगर बारिश की वजह से पेट मे दर्द हो तो सुंठ की पावडर गुड मे मिलाकर उसकी गोलीया बनाकर खाने से पहले उसका सेवन किजिए|
  • सर्दी साइनस में जम गई हो तो सुंठ पावडर तवे पर लेकर उसका जो धुआ है  उसे नाक से अंदर खिचे|
  • बारिश की ठंडी की वज़ह से सांधो में जकड़ाहट हो या हाथ -पैर ठंडे पड रहे हो तो सांधोको और जहाँ ठंडापन है वहाँ रात सोते वक्त सुखा सुंठ पावडर मसले|

तो है न बहोत उपयुक्त – सुंठ|

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 Stay Healthy…. Stay Blessed.

लहसुन – बारिश का स्वास्थ्य रक्षक ( घरेलू नुस्का नं- ०१) Blog – 19

बारिश आ गई है और बारिश के साथ बारिश की बीमारियां भी आएंगी जैसे सर्दी ,खांसी ,बुखार, पेट दर्द ,उल्टी वगैरा


तो इस मौसम का हमारा साथी है -लहसुन
” लहसुन अ डे कीप्स डॉक्टर अवे ” “Garlic a day keeps doctor away “


इस मौसम में लहसुन खाने से (क्यूंकि लहसुन को एन्टी- वायरल प्रॉपर्टीज है ) वह हमे बारिश की सारी बीमारियों से दूर रखता है |
दोपहर और रात खाने के साथ आप लहसुन की चटनी खाए तो आप बारिश की सारी बीमारियों से दूर रह सकते हो |
तो कैसा लगा हमारा नुस्का ? – बहुत आसन और उपयुक्त |

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स्टे हेल्धी….स्टे ब्लेस्ड

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