बवासीर का खून तुरंत रुकाए – प्याज (घरेलू नुस्का – 07) Blog – 50

आज का हमारा विषय है – बवासीर

बवासीर यह बहुत ही वेदनायुक्त और तकलीफ देने वाली बीमारी है| क्योंकि हर वक्त उठते बैठते यह बीमारी बहुत परेशानी देती है और अगर बवासीर से खून गिरने लगे तो दर्द और परेशानी के साथ कमजोरी और टेंशन भी बढ़ने लगता है|

बवासीर किन लोगों में ज्यादा होता है?

जो लोग ज्यादा तीखा , ज्यादा मांसाहार खाते है और जिनको मलबद्धता की तकलीफ होती हैं उनमे बवासीर ज्यादा पाया जाता है|

इस बवासीर की बीमारी से कैसे बचे?

१)मलबद्धता मत होने दिजिए।
२) गर्मी के लिए बताए गए आरोग्य मंत्र का पालन करें|

आरोग्य मंत्र की वीडियो लिंक हमने नीचे डिस्क्रिप्शन में बताई है वह जरूर देखें|

गर्मी का आरोग्यमंत्र है

सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुए पदार्थ खाए।

  • सफेद पदार्थो का सेवन ज्यादा करें जैसे दूध और दूध के पदार्थ विशेष रूप से घी और मक्खन , चावल, नारियल|
  • सफेद फल जैसे अमरूद, सेब, केला, सीताफल रोज खाइए|
  • और तीखे और तले हुए पदार्थ बहुत कम मात्रा में खाइए|

अगर बवासीर से खून गिरने लगे तो क्या करें?

गर्मी में अगर हम कच्ची हरी मिर्च का सेवन करेंगे जैसे चटनी, पाणी पूरी आदि में तो बवासीर से खून गिरने लगता है |

  • इस खून को तुरंत रुकाने के लिए प्याज छिलके के साथ गैस पर सेके और छिलका निकाल कर उसका सेवन करें|
  • या प्याज को दही के साथ मिलाकर उसका सेवन करें।
  • और हरी मिर्च, अदरक, लहसुन , काली मिरी बिल्कुल मत खाए।

बवासीर होने पर हमे क्या परहेज करने चाहिए ?

  • हरी मिर्च और तीखे पदार्थ,अदरक, लहसुन , काली मिरी मत खाए ।
  • हर रोज खाने में ज्यादा मात्रा में छाछ का सेवन करें।
  • सुबह और शाम त्रिफला का चूर्ण या त्रिफला की गोली का सेवन करे।
  • हफ्ते में २-३ बार जिमीकंद (सूरन) की सब्जी बना कर खाएं। सूरन बावासीर हटाने में बहुत अच्छा काम करता है|

सूरन की सब्जी बनाते वक्त पहले सूरन को एक घंटा छाछ में भिगोकर फिर गरम पानी सेअच्छे से धो दें। इससे सूरन में जो क्षार होते है वह निकल जाते है| सूरन को ऐसे नहीं पकाया तो उससे गले में खराश, पथरी ,संधिवात जैसी बीमारिया होने की संभावना बढ़ जाती है|

अगर आपको बवासीर के साथ मलबद्धता हो तो खाने से पहले गरम पानी या गरम दूध में एक चम्मच घी या बादाम का तेल मिलाकर उसका सेवन करें। इससे पेट अच्छे से साफ होता है, बवासीर की जगह की जलन कम होती है और उधर की त्वचा में आया हुआ रूखापन कम होता है|

इस तरह परहेज और घरेलू नुस्को से आपको बवासीर में काफी राहत मिल जाएगी। लेकिन बवासीर को जड़ से मिटाने के लिए आप वैद्य और डॉक्टर की सलाह जरूर लीजिये| पंचकर्म के क्षारसूत्र कर्म से बवासीर जड से निकलता है ।

यह घरेलू नुस्का आपको कैसा लगा जरूर बताइए और ऐसे घरेलू नुस्को के लिए हमारे साथ बने रहिए|
Stay healthy, Stay blessed ।

गणपतीजी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली, चिवडा क्यों नही खाते ? (आरोग्य मंत्र – ०९) Blog – 46

आपने कभी सोचा गणपती जी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली चिवडा क्यों नही खाते ?

सवाल जितना दिलजस्प है, जवाब भी उतना ही दिलजस्प है।

गणपती अक्टूबर की गर्मी के पहले आते है। और जैसे हमने पिछले ब्लॉग मे जाना ।

त्यौहार हमे ऋतु के नुसार आहार-विहार में क्या बदलाव करने चाहिए यह सिखाते है।

गणपती के बाद अक्टूबर की गर्मी आती है। गर्मी मे हम अगर बेसन की तली हुए चीजे जैसे चकली, चिवडा खाए तो प्यास और शरीर मे पित्त बढता है।

आयुर्वेद के नुसार अक्टूबर पित्त प्रकोप का काल है । इसलिए अक्टूबर मे पित्त बढाने वाली चीजे खाने से हमे सिरदर्द, पाइल्स, फिशर (बवासीर), पेट खराब होना, एसिडिटी ऐसी बिमारिया होती है। इसलिए अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए क्या खाना चाहिए यह बताने के लिए गणपती का त्यौहार आता है।

गर्मी मे पित्त कम करने वाली चिजे खानी चाहिए । जैसे सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुए पदार्थ।

यह सब गुण तो मोदक मे है।

इसलिए गणपती को हम मोदक प्रसाद मे चढाते है। क्योंकि मोदक हमे प्रतिकात्मक समझाते है की अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए यह गुणवाले पदार्थ खाने चाहिए।

  • सफेद पदार्थ याने दूध, दही, छाछ, पनीर, चावल,
  • मीठे पदार्थ याने विविध पकवान्न,
  • पानीयुक्त याने अलग अलग तरह के शरबत, ज्यूस,
  • नारियल युक्त पदार्थ याने नारियल का दूध,नारियल का पानी, नारियल की करी और
  • उबाली हुई चीजों का हमे सेवन करना चाहिए।

आज आपने जाना की गणपती जी मोदक क्यों खाते है।

गणपती जी ने बताया हुआ आरोग्य मंत्र है।

अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुई पदार्थ खाने चाहिए।

कैसे लगा हमारा ब्लॉग कमेंट करके जरूर बताए।

अगले सोमवार नए ब्लॉग के साथ मिलते है। तब तक अक्टूबर का आरोग्य मंत्र जरूर अपनाए।

Stay Healthy Stay Blessed

Advertisements

अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर – नारियल एक सर्वगुण संपन्न फल – भाग २ (घरेलू नुस्का नं – 7) Blog- 45                                                                               

अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर – नारियल भाग-१ इस ब्लॉग मे हमने जाना की नारियल आकाश मे उत्पन्न होता है| इसलिए उसमे आकाश तत्व की अधिकता होती है| और इसी कारन नारियल शरीर के आकाशतत्व वाले अवयव जैसे सिर, कान, पेट इनपर अच्छा काम करता है|

पिछले ब्लॉग मे हमने जाना की नारियल सिर और कान पर कैसे गुणकारी है और आज के ब्लॉग मे हम जानेंगे की नारियल ये पेट के लिए कैसे गुणकारी है|

नारियल सफ़ेद रंग का पानियुक्त और फाइबरयुक्त होता है| इसलिए वह शरीर मे पित्त और पानी के अंश को संतुलित रखता है |

इसलिए अक्तूबर मे नारियल का ३ तरह से सेवन करना चाहिए |

  • अख्खा नारियल
  • नारियल का पानी
  • नारियल का दूध

1. अख्खा नारियल –अक्खे नारियल को पीसकर हर रोज खाने मे इस्तमाल करना चाहिए| क्यूकी नारियल मे फाइबर का प्रमाण अच्छे अंश मे होता है|पिसा हुआ नारियल हम खाने मे इस्तमाल करेंगे तो हमारे शरीर मे कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड आदि (cholesterol, Triglyceride) नही बढेगे|

लेकिन नारियल का तेल निकाल कर उस तेल को हम आहार मे सेवन करेंगे तो वह शरीर में खून मे जमने लगेगा और फिर हमे कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड(Cholesterol, Triglyceride) ऐसी अलग अलग बीमारीयां होने लगती है|

इसलिए अक्तूबर के गर्मी मे हमे खाने मे रोज पिसे हुए नारियल का सेवन करना चाहिए| इससे पचन अच्छा रहता है ,पेट साफ रहता है और कोलेस्ट्रॉल भी नही बढता|

2 . नारियल का पानी – अक्तूबर मे गर्मी और पसीने की वजह से शरीर मे पानी का अंश कम / असंतुलित हो जाता है|इसलिए हमे सिरदर्द, जुलाब, पिशाब मे जलन ,माइग्रेन जैसी बीमारियां होने लगती है| यह बीमारियां न हो या फिर यह बीमारिया होने पर आयुर्वेद मे बताया है की पके हुए नारियल के पानी का सेवन करना चाहिए|

आयुर्वेद के अनुसार कौनसा भी कच्चा फल नही खाना चाहिए|

इसलिए कच्चा नारियल जिसको हम शहाळ बोलते है उसका पानी हजम करने के लिए बहुत भारी होता है|इसलिए आयुर्वेद के नुसार शहाळ याने कच्चे नारियल का पानी नही पीना चाहिए|

पके हुए नारियल मे इलेक्ट्रोलाइट बहुत अच्छी मात्रा मे होते है| इसलिए अगर हम पके हुए नारियल के पानी का सेवन करते है तो गर्मी मे शरीर का पानी और इलेक्ट्रोलाइट संतुलित रहता है और हम बीमार नही पड़ते |

3. नारियल का दूध नारियल का दूध शीत और पित्तशामक होता है| इसलिए हर रोज के अलग अलग खाने के रेसेपी मे नारियल के दूध का करी, सोलकढी ऐसे विविध तरीके से इस्तमाल करना चाहिए |

इस तरह अक्तूबर की गर्मी से बचने के लिए नारियल का हमे विविध तरह से उपयोग करना चाहिए|

  • रोज सुबह खाली पेट नारियल, किशमिश और शक्कर खानी चाहिए|
  • नारियल का दूध नारियल का दूध और नारियल के पानी का सेवन करना चाहिए |और वैसे भी गणपती मे बताया ही है की मोदक खाओ क्यूंकि वह भी नारियल से बनते है

इस प्रकार से अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर नारियल रोज खाओ और निरोगी रहो|

Stay Healthy Stay Blessed

Advertisements

Immunity Booster For October – Coconut (Part – 2) (Home Remedy No – 07) Blog – 44

In our last blog October Immunity booster – COCONUT (part – 1) we learnt that Coconut grows in “Aakash Mahabhuts” i.e. space so it has more constituents of “Aakash Mahabhut” and so it works extremely good or works wonders on parts of the body which have dominance of “Aakaash mahabhut”. These are HEAD, EAR, INTESTINES and BLADDER.

In last blog we learnt about benefits of coconut for HEAD and EAR. In this blog we are learning how coconut is beneficial for INTESTINE and BLADDER? 

Coconut is white in colour and has good content of fiber and water. So it balances Pittah and water in body .

So in October heat we should eat coconut in 3 forms.

  • GRATED COCONUT
  • COCONUT WATER
  • COCONUT MILK

1. GRATED COCONUT – Start eating coconut in meals every day. Coconut has high fiber content so it doesn’t increase cholesterol and triglyceride if it is eaten along with fibers i.e. in raw form. But when we start extracting oil from it and use oil in cooking then it accumulates in the blood and so our cholesterol , trigylceides and other lipids start increasing.

So in October start eating raw form grated coconut in diet, as it’s high fiber content helps in digestion and keeps bowel movement good .

2. COCONUT WATER – In october ,due to heat and alot of sweating the water electrolyte balance in body gets disturbed and we fall sick with Loose Motion, Acidity, Urine Burning, Migraine, Headache and number of diseases. So to prevent diseases or to cure them ayurveda advices that we should drink coconut water of ripe coconut. 

Ayurveda says that no fruit should be eaten in raw form.

So Ayurveda doesn’t advise drinking coconut water of unripe coconut which we get on streets.

So in october we should consume coconut water of ripe coconut everyday. It has good balance of electrolytes in it so it maintains water and electrolyte equilibrium in our body and we remain Healthy.

3. COCONUT MILK – Coconut milk is coolant and balances Pittah in body. So we should be consumed Coconut milk in different recepies like Solkadhi, different curries etc.

So guys now you know that to combact october heat we shuold use Coconut in diet in varied forms.

  • In morning on empty stomach consume grated coconut with raisins and sugar.
  • rink coconut water and coconut milk of ripe coconut everyday.

That is why it is told in Ganpati to start eating Modak beacause it is also made up of Coconut.     

So start eating October immunity booster – coconut everyday remain healthy.

“अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर – नारियल| एक सर्वगुण संपन्न फल”- भाग -१ .(घरेलू नुस्का नंबर – ०६) BLOG – 43

पिछले आरोग्य मंत्र ब्लॉग – ०८ मे हमने जाना की “ऋतुचर्या याने ऋतु के नुसार आहार विहार मे बदलाव करने से हमारी प्रतिकार शक्ति अच्छी रहती है|

अभी अक्टूबर की गरमी आ रही है| आयुर्वेद मे इस ऋतु को शरद ऋतु कहते है| शरद ऋतु मे आहार विहार क्या बदलाव करे ये हमे नारली पौर्णिमा मे ही बताए है याने “नारियल खाओ और निरोगी रहो |”

आज का घरेलू नुस्का नंबर – ०६ है

“अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर है – नारियल- एक सर्वगुण संपन्न फल|”

नारियल को हिंदू संस्कृति मे अनन्यसाधारण महत्व है| इसे श्रीफल कहते है| क्यूकी इसे भगवान को अर्पण करते है और हर एक शुभ कार्य की शुरुवात नारियल से की जाती है| नारियल का धार्मिक और आध्यत्मिक महत्व हम बाद मे जानेंगे|

लेकिन आज २ सितंबर को जागतिक नारियल दिन मनाया जाता है| इस अवसर पर हम नारियल का आरोग्य के दृष्टि से महत्व जरूर जानेंगे |

“निसर्ग पंचमहाभूतो से बना है – पृथ्वी, पानी, तेज, वायु, आकाश|” निसर्ग मे नारियल आकाश मे उत्पन्न होता है इसलिए नारियल का तेल आकाश के याने सफेद रंग का होता है| और जो तेलबीज जमीन मे आते है जैसे तील का तेल,सरसों का तेल वह भूमी के पीत रंग के होते है|

कितना सुन्दर है ना निसर्ग |

नारियल शीत और सफ़ेद रंग का होता है, इसलिए वह पित्त कम करता है| आयुर्वेद नुसार अक्टूबर मे निसर्ग मे गर्मी और शरीर मे पित्त बढ़ता है| इसलिए अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर है नारियल| तो अब जानते है किस तरह से नारियल का सेवन करने से हम निरोगी रहेंगे|

हमने अभी जाना नारियल आकश मे उत्पन्न होता है| इसलिए इसमे आकाशतत्व की अधिकता होती है| इसलिए वह शरीर के आकाशतत्व वाले अवयवोपे अच्छा काम करता है | कौनसे है यह अवयव ? यह है – सिर, कान और पेट|

१ . सिर

आपने कभी देखा है नारियल और हमारे सिर मे काफी समानता है |

इसके बाल हमारे बाल, इसका कवच हमारा कवच याने Skull और इसके अंदर जो नारियल है वो हमारे मेंदू के समान है | इसके अंदर जो पानी होता है वो CSF याने सिर मे जो पानी होता है उसके समान होता है | इसलिए नारियल सिर के सब तरह के व्याधि मे बहुत अच्छा काम करता है और इन सब अवयव को पोषण देता है |

इसलिए अब गर्मी से रोज सुबह खाली पेट पका नारियल शक्कर के साथ खाना चाहिए| इससे पित्त संतुलित रहता है और बुद्धि, बाल और मेंदू को पोषण मिलता है| नारियल का तेल बालो के लिए अच्छा है | रोज रात सोते वक्त नारियल के तेल से तलवो को मालिश करनी चाहिए| इससे गर्मी मे होने वाली आखो की जलन कम होती है|

2 . कान

आयुर्वेद के नुसार कान ये आकाश तत्व का अवयव माना है| इसलिए आकाश के गुण शब्द हमे कान से सुनाई देते है| लेकिन ध्वनि प्रदूषण टी.वी, मोबाइल इनसे कानो मे वात बढता है, और हमे विविध कान की बीमारिया हो सकती है|

इसके लिए आयुर्वेद ने नारियल के तेल से “कर्णपूरन” करने को कहा है |

इससे कानो मे वात संतुलित रहता है और कानो का आरोग्य अच्छा रहता है|

कर्णपूरन याने हफ्ते मे एक दिन कानो मे नारियल के तेल के ४-४ बूंद डालकर १० मिनट लेट जाइए| और १० मिनट के बाद रुई से कानो को अच्छेसे साफ कीजिये| अगर कानो मे तेल रह गया तो फंगस हो सकता है|

आज हमने जाना की नारियल से सिर और कान को कैसे फायदा होता है| अगले ब्लॉग मे हम नारियल पेट के लिए कैसे गुणकारी रहेगा ये जानेंगे|

तब तक नारियल खाओ और निरोगी रहो |

Stay Healthy Stay Blessed.

            

नारली पौर्णिमा से नारियल खाओ और निरोगी रहो|(आरोग्य मंत्र – 0६) Blog- 37

पिछले आरोग्य मंत्र वीडियोज मे हमने जाना कि निरोगी रहने के लिए हमारी प्रतिकार शक्ती अच्छी होनी चाहिए | और प्रतिकार शक्ती अच्छी रहने के लिए हमे ऋतु के नुसार हमारे आहार विहार मे बदलाव करने चाहिए |

आहार विहार मे क्या बदलाव करने चाहिए ये हमे त्यौहार सिखाते है |

कैसे ?

ये हमने आरोग्य मंत्र वीडियो नंबर – ०५ मे आपको बताया है |इस विडियो की लिंक ब्लॉग के नीचे दी है।

त्यौहार के नुसार आहार विहार मे बदलाव करने से हम निरोगी रहते है | लेकिन ये बदलाव सिर्फ उस त्यौहार के दिन अपनाने नही चाहिए, बल्कि उस त्यौहार से लेकर अगले त्यौहार तक ये  बदलाव हमे अपनाने चाहिए |

तो आज का हमारा विषय है |

नारली पौर्णिमा से नारियल खाओ और निरोगी रहो”.

कैसे ?

ये जानने के लिए हमे नारली पौर्णिमा के पीछे का शास्त्र पता होना चाहिए |

नारली पौर्णिमा कब आती है ?

नारली पौर्णिमा श्रावण के पौर्णिमा को याने जब वर्षा ऋतु धीरे धीरे कम हो रही हो और शरद ऋतु याने ऑक्टोबर हीट शुरू हो रही हो तब आती है |

इस ऋतु मे हमे आहार विहार मे क्या बदलाव करने चाहिए ?

वर्षा ऋतु मे जो आहार विहार बताए गए है जैसे गरम, तीखा, तला ये सब धीरे धीरे कम करने चाहिए और शरद ऋतु मे जो आहार विहार बताए है वह शुरू करने चाहिए |

तो शरद ऋतु मे क्या आहार विहार बताए है ?

यही नारली पौर्णिमा मे बताया है |

नारली पौर्णिमा मे बताया है कि शक्कर, चावल और नारियल खाना चाहिए |

क्यु ?

आयुर्वेद नुसार शरद ऋतु मे पित्तप्रकोप काल होता है |याने इस ऋतु मे पित्त बहुत ज्यादा बढता है और हमे पित्त कि सारी बीमारियाँ जैसे माइग्रेन, एसिडिटि, सिरदर्द आदि होने लगती है |

हर त्यौहार मे जो पदार्थ खाने को कहे जाते है वह प्रतिकात्मक होते है (याने इस तरह खाओ) जैसे नारियल प्रतिकात्मक है| नारियल याने सफ़ेद, मीठे, पानीयुक्त पदार्थ हमे खाने चाहिए |

इन प्रतिकात्मक पदार्थों को जरा विस्तार से जानते है ।

  • सफ़ेद पदार्थ – सफ़ेद रंग पित्त शामक याने पित्त कम करने वाला होता है | इसलिए सफ़ेद पदार्थ जैसे दूध, दूध के पदार्थ, चावल ज्यादा खाना शुरू करना चाहिए |
  • पानीयुक्त पदार्थ –ऑक्टोबर मे गर्मी के बजह से शरीर मे पानी का अंश बहुत कम हो जाता है इसलिए धीरे धीरे पानीयुक्त चीजे जैसे नारियल पानी, शर्बत, छाछ इनका सेवन हमे करना चाहिए |
  • मीठे पदार्थ – मीठे पदार्थ वात और पित्त दोनों को कम करते है इसलिए इनका सेवन शुरू करना चाहिए जैसे शक्कर ,गुड ,मीठे पक्वान्न आदि और नैसर्गिक मीठे पदार्थ याने फल | फल मीठे, खट्टे और पानीयुक्त होते है इसलिए वात और पित्त दोनों को कम करते है |

तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र – 0६ है –

वर्षा ऋतु का तीखा, गरम, तला खाना धीरे-धीरे कम करो और शरद ऋतु का मीठा,सफ़ेद, पानीयुक्त अन्न खाना धीरे-धीरे शुरू करो |”

नारियल मे ये सभी गुण है – सफेद, मीठा, पानीयुक्त और फल भी है |

इसलिए नारली पौर्णिमा से बताया है नारियल खाओ और निरोगी रहो |

तो इस ऋतु से हर रोज अपने खाने मे हमे नारियल का सेवन अलग अलग तरह से जरूर करना चाहिए जिससे हम निरोगी रहे ।

अगले त्यौहार तक इस आरोग्य मंत्र को follow कीजिये  और हमे follow कीजिये जानने के लिए कि कृष्ण जन्माष्टमी के पीछे का आरोग्य मंत्र क्या है ?

Stay Healthy Stay Blessed  .

Advertisements

Narali Pournima – Start eating Coconut to remain healthy (Health Mantra -06) Blog -36

In our past videos we learnt that if our Immunity is good we remain healthy .And to keep immunity good we must change lifestyle according to season change .

What seasonal changes should be made in diet and routine are told by Festivals.

How ?

That is discussed in our last Health mantra no – 05 video . The link of that video is given at the end of this blog.

So if we follow lifestyle changes told by festivals then we remain healthy. But those changes should not be followed only during that festival. But lifestyle changes should be imbibed from that festival till next festival.

So our todays topic is “From Naarali Pournima start eating coconut and remain healthy.

How ?

Well to understand this, we must inquire into the Science behind Narali Pournima.

When does Naarali Pournima come ?

On Pournima of Shravan, when rainy season is about to end and october heat is going to start.

So what changes we should do in lifestyle ?

We should slowly stop Varsha/rainy lifestyle of hot, spicy and fried food and change to Sharad Hritu /October heat lifestyle.

So what is Sharad Hritu /October heat lifestyle?

That is told on festival Naarali pournima.

On Naarali Pournima we are advised to eat sugar, rice and coconut.

Things advised on festivals symbolically tells us what changes to do.

Like COCONUT symbolically tells us to eat White, Sweet and things with lot of water in it as these reduces Pittah as well Vaat.

Let’s understand these symbolical language in a bit detail.

  • White  Things –  White  color is coolant. So white things reduce Pittah in the body. Therefore start consuming white things like rice, milk, milk products, coconut etc.
  • Sweet things – Sweet things decrease Vaat as well Pittah in the body. So slowly increase eating sweet foods like sugar, jaggery etc and natural sweet like Fruits. Fruits are sweet, sour as well contain water so it reduces Vaat as well Pittah .
  • Things with more water content – like butter milk, fruits, Juices, sharbat, coconut water etc as October heat is going to disturb your water balance in body.

So our Health Mantra – 06 is

“ Stop eating Rainy diet ie spicy, hot, fried and slowly start eating Summer diet ie White, Watery and Sweet.”

Coconut has all above properties. It is fruit, sweet, watery and white. So it balances Vaat as well Pittah and keeps you healthy .

So from Naarali Pournima start eating coconut everyday in diet in varied forms to remain healthy.

So start following Festival Lifestyle to remain healthy and start following us to know new Health Mantra.

Our next Health Mantra will be science behind Janmashtmi.

So till next week.

Stay Healthy, Stay Blessed .      

%d bloggers like this: