ऑक्टोबरचा आरोग्य मंत्र (Marathi Blog No – 01) Blog – 52

ऑक्टोबर सुरू झाला………. गरमी सुरू झाली आणि त्यासोबत सुरू झाले गरमीचे सर्व आजार जसे घामोळ्या, नाकातून रक्त येणे, पोटदुखी, डोकेदुखी, माइग्रेन , मूलव्याधि आदि

या आजारांपासून आपण कसे वाचू शकतो?

सणांच्या मदतीने.

ते कसे? चला जाणून घेऊया.

प्रत्येक सण, परंपरा या धार्मिक गोष्टिंच्या मागे शास्त्र असते. लोकांचे आरोग्य चांगले रहावे म्हणून आपल्या ऋषिंनी शास्त्र आणि धर्माची सांगड घातली आणि शास्रांचे सिद्धान्त धर्माबरोबर बसवले जेणेकरून सर्व जणांनी धर्माचे पालन केले तर शास्त्राचे पालन होईल आणि समाजातील सर्व लोक निरोगी राहतील .

सण सुद्धा कधीही येत नाहीत. सण शास्त्रीय दृष्टीने बसवलेले असतात.

सण ऋतुंच्या संधीला येतात. जसे उन्हाळ्याच्या आधी गणपती, हिवाळ्याच्या आधी दिवाळी. सण आपल्याला शिकवतात की पुढे येणाऱ्या ऋतुमध्ये आहार-विहार मध्ये काय बदल केल्याने आपण निरोगी राहू शकतो.

ते कसे ते जाणन्यासाठी सणांच्या मागील शास्त्र समजून घेऊया .

ऑक्टोबरच्या आधी गणपती सण येतो. आपल्या सगळ्यांचे आवडते गणपती बाप्पा.

आपण कधी विचार केला आहे का कि गणपती चकली, चिवडा का नाही खात?

कारण गणपती नंतर ऑक्टोबर ची गरमी येणार असते. ऑक्टोबर ऋतूमध्ये निरोगी राहाण्यासाठी जे योग्य आहार ते आपण गणपतीला प्रसाद म्हणून चढवतो. म्हणजे प्रत्येक सणाला सांगितलेला आहार विहार हा आपल्याला प्रतिकात्मक सांगतो की येणाऱ्या ऋतुमधे आहार विहारामधे काय बदल केल्याने आपण निरोगी राहू शकतो.ऑक्टोबरमध्ये खुप गरमी असते त्यामुळे गणपतीला प्रसाद म्हणून असे पदार्थ चढवतात जे उन्हाळ्यात आपल्याला निरोगी ठेवतील. मोदक प्रतीकात्मक सांगतो की उकडलेले पदार्थ खा म्हणजे उन्हाळ्यात तहान तहान होणार नाही , पित्त संतुलित राहिल , गरमीचे आजार होणार नाहीत. म्हणून गणपति चकली , चिवड़ा नाही खात.

ऑक्टोबरचा आरोग्य मंत्र आहे.

पांढरे, गोड, उकडलेले, नारळयुक्त आणि पाणीदार पदार्थांचे सेवन करावे.

१) ऑक्टोबर मध्ये पित्त खूप भडकते आणि पांढऱ्या रंगांचे पदार्थ पित्त कमी करतात. त्यामुळे त्यांचे अधिक सेवन करावे.

  • पांढऱ्या रंगाचे पदार्थ जसे ताक, दूध, दुधाचे पदार्थ, दही, कढी, तांदूळ, नारळ
  • पांढऱ्या रंगांची फळे जसे सीताफळ, पेरू, केळी, पेअर, सफरचंद आदि

२) मधुर रस पित्त शामक असतो म्हणजे पित्त कमी करतो म्हणून ह्या ऋतुमधे गोड़ पदार्थ खावेत.

३) ऑक्टोबर मध्ये गर्मी खूप असते. ह्या गरमीमध्ये जर आपण तळलेले पदार्थ खाल्ले तर पित्त वाढते आणि तहान लागते. त्यामुळे ऑक्टोबर मध्ये उकडलेल्या पदार्थांचे सेवन जास्त करावे.

४) जेवणामध्ये नारळाचा उपयोग जास्त करावा. नारळ पांढरा रंगाचा, गोड आणि पाणीयुक्त आहे. त्यामुळे उन्हाळ्यात याचा जेवणात अधिक प्रमाणात उपयोग केला तर पित्त संतुलित रहाते आणि शरीर निरोगी राहते. जसे नारळाचे वाटप, नारळाचे दूध, नारळाचे पाणी,नारळाचा खीस आदि

५) या ऋतूत गुणाने थंड असलेले पेय यांचे अधिक सेवन करावेत. कारण ऑक्टोबरच्या गरमी मुळे शरीरातून घामाद्वारे पाणी आणि क्षार अधिक प्रमाणात बाहेर निघुन जातात त्यामुळे शरीरातील पानी आणि इलेक्ट्रोलाइट चे संतुलन ठेवण्यासाठी विविध प्रकारचे सरबत थोडे मीठ घालून सेवन करावेत जसे खसबसरबत, सोलकढी , लिम्बु सरबत , उसाचा रस यांचे अधिक प्रमाणात सेवन करावे.

अशा रीतीने शास्त्रीयदृष्ट्या आपण सणांचे पालन केले तर प्रत्येक ऋतूत आपण निरोगी राहू.

आश्चर्यचकित झालात ना ऐकून की सणाच्यामागे सुद्धा एवढा शास्त्रीय विचार आहे. तर चला मग प्रत्येक सणाकडे आज पासून डोळसपणे बघूया.

प्रत्येक ऋतुच्या आरोग्य मंत्राचे पालन करूया. त्याची सुरुवात ह्या ऑक्टोबर पासून ऑक्टोबरचा आरोग्य मंत्र पालुन करूया.

Stay Healthy Stay Blessed.

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खाना खाते वक्त टी.वी, मोबाइल देखने से बढ रही है बीमारियां। Blog – 48

ट्रेजर्स ऑफ आयुर्वेदा मे हम समय के साथ जो आरोग्य का सही अर्थ भूल चुके है उस पर थोड़ी रोशनी डालेंगे|

आज का हमारा विषय है – आहार 

आज हम आहार के प्रति नए दृष्टिकोण के बारे मे जानेंगे |

आहार से हमे ऊर्जा मिलती है|

हम जो अन्न खाते है उसीसे हमारे शरीर की हर एक पेशी बनती है।आहार को पुराने जमाने मे यज्ञ माना जाता था |

इसलिए हमे आहार के प्रति एक अलग दृष्टिकोन जानना बहुत जरूरी है|आहार सजीव है ,उसमे ऊर्जा है|आहार की यह ऊर्जा अगर सही जानकारी के साथ शरीर मे जाए तो हम निरोगी रहते है |

आयुर्वेद ने बताया है की खाना खाते वक्त कुछभी काम नही करना चाहिए |

  • खाना खाते वक्त हमारा मन शांत होना चाहिए |
  • खाना खाते समय टी.वी, मोबाइल बंद चाहिए |

1 . खाना खाते वक्त हमारा मन शांत होना चाहिए |  खाना खाते वक्त मन मे जो विचार होते है वही विचार हम अन्न के साथ शरीर मे लेते है और हम उसी तरह बनते है|

2 . खाना खाते समय टी.वी, मोबाइल बंद रखना चाहिए – खाना खाते समय टी.वी, मोबाइल, विडियो कुछ भी चालू नही रखना चाहिए| क्यूकी हमारा ध्यान उन चीज़ों में जाता है | इससे हम क्या खा रहे है हमे पता नही होता | टीवी, मोबाईल के विचार अन्न के साथ शरीर मे जाते है और इस गलत जानकारी के कारण हमारे शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। हमे अलग अलग बीमारियाँ होने लगती है |

आहार यज्ञ है | आहार हमे हर रोज बना रहा है | उस आहार के साथ हम जो जानकारी शरीर के भीतर भेजते है हमारे शरीर की हर एक पेशी उस गुण की बनती है।

इसलिए सौ बीमारियो का एक इलाज है अन्न खाते वक्त हमारा पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए |

पहले हात जोड कर नमस्कार करना चाहिए | फिर एक पौजेटिव ऊर्जा खाने मे डाले । यह एक यज्ञ है | एक बहुत अद्भुत परिवर्तन है । रोटी ,सब्जी, दाल ,चावल से शरीर की हर एक पेशी बनाना आम बात नही है। अन्न की ऊर्जा का शरीर पेशी में परिवर्तन होते वक्त उसके साथ सही जानकारी information जानी चाहिए तब यह परिवर्तन सही होगा और निरोगी पेशीया बनेगी|जैसे कंप्यूटर मे हमने अगर गलत information जानकारी डाली तो हमे गलत result मिलेगा। पेशी निरोगी होगी तो वह अपना काम सही करेगी।और सब पेशियां अपना काम सही करने लगेगी तो हमे बीमारियां नही होगी।सिर्फ हेल्दी खाना पकाने से फायदा नही है | जब हम खाना खा रहे है उस समय जो वातावरण है वह भी सही चाहिए, अपना मन शांत होना चाहिए और उसके साथ हम जो जानकारी भेज रहे है वह भी सही होनी चाहिये |

यह दृष्टिकोण का हमारे खुद के लिए और विशेष करके छोटे बच्चो के लिए पालन करना बहुत जरूरी है, कि खाना खाते वक्त टी.वी, मोबाइल बंद होने चाहिये और खाते वक्त हमारा पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए |

इस तरह से हम अपने जीवनशैली की छोटी छोटी चीजों मे अगर बदलाव करे तो हम निरोगी रहते है। विशेष रूप से आहार में।

आप यह दृष्टिकोण अपने जीवन में जरूर अपनाए ।

Stay  Healthy Stay Blessed.

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गणपतीजी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली, चिवडा क्यों नही खाते ? (आरोग्य मंत्र – ०९) Blog – 46

आपने कभी सोचा गणपती जी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली चिवडा क्यों नही खाते ?

सवाल जितना दिलजस्प है, जवाब भी उतना ही दिलजस्प है।

गणपती अक्टूबर की गर्मी के पहले आते है। और जैसे हमने पिछले ब्लॉग मे जाना ।

त्यौहार हमे ऋतु के नुसार आहार-विहार में क्या बदलाव करने चाहिए यह सिखाते है।

गणपती के बाद अक्टूबर की गर्मी आती है। गर्मी मे हम अगर बेसन की तली हुए चीजे जैसे चकली, चिवडा खाए तो प्यास और शरीर मे पित्त बढता है।

आयुर्वेद के नुसार अक्टूबर पित्त प्रकोप का काल है । इसलिए अक्टूबर मे पित्त बढाने वाली चीजे खाने से हमे सिरदर्द, पाइल्स, फिशर (बवासीर), पेट खराब होना, एसिडिटी ऐसी बिमारिया होती है। इसलिए अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए क्या खाना चाहिए यह बताने के लिए गणपती का त्यौहार आता है।

गर्मी मे पित्त कम करने वाली चिजे खानी चाहिए । जैसे सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुए पदार्थ।

यह सब गुण तो मोदक मे है।

इसलिए गणपती को हम मोदक प्रसाद मे चढाते है। क्योंकि मोदक हमे प्रतिकात्मक समझाते है की अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए यह गुणवाले पदार्थ खाने चाहिए।

  • सफेद पदार्थ याने दूध, दही, छाछ, पनीर, चावल,
  • मीठे पदार्थ याने विविध पकवान्न,
  • पानीयुक्त याने अलग अलग तरह के शरबत, ज्यूस,
  • नारियल युक्त पदार्थ याने नारियल का दूध,नारियल का पानी, नारियल की करी और
  • उबाली हुई चीजों का हमे सेवन करना चाहिए।

आज आपने जाना की गणपती जी मोदक क्यों खाते है।

गणपती जी ने बताया हुआ आरोग्य मंत्र है।

अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुई पदार्थ खाने चाहिए।

कैसे लगा हमारा ब्लॉग कमेंट करके जरूर बताए।

अगले सोमवार नए ब्लॉग के साथ मिलते है। तब तक अक्टूबर का आरोग्य मंत्र जरूर अपनाए।

Stay Healthy Stay Blessed

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इम्युनिटी बूस्टर क्या है ? (आरोग्य मंत्र – ०८) BLOG – 40

इम्युनिटी बूस्टर…… इम्युनिटी बूस्टर….. है क्या ये चीज ?

इम्युनिटी मतलब प्रतिकार शक्ति |

मतलब हर चीज जो हमे निरोगी रखती है | जैसे कसरत, पौष्टिक अन्न,अच्छी दिनचर्या | लेकीन ऐसे आदर्श दिनचर्या का पालन करने पर भी ऋतु मे बदलाव होने पर हम बीमार पडते है | ऐसा क्यू ?

क्यू की ऋतु के बदलाव के नुसार हम अपने आहार और विहार मे बदल नहीं करते |

आयुर्वेद मे ऋतु के नुसार आहार और विहार बदल बताये गए है| उसको कहते है ऋतुचर्या |

हम ठंडी मे गरम कपडे पहेनते है | पर बाकी आहार विहार मे बदलाव नही करते इसलिए बीमार पडते है |

पर अगर हमने ऋतुचर्या का पालन किया तो हम निरोगी रहेंगे |

“ऋतुचर्या” को हम आज की भाषा मे इम्युनिटी बूस्टर कह सकते है |”

तो इम्युनिटी बूस्टर याने कोई चूर्ण या गोली नही |

इम्युनिटी बूस्टर याने ऋतुनुसार आहार विहार मे पूर्ण परिवर्तन करना |

इसलिए हर एक ऋतु के इम्युनिटी बूस्टर अलग रहेंगे | आयुर्वेद मे ०६ ऋतुओ की ०६ ऋतुचर्या बताई है |

इनके बारे मे हम आने वाले विडियो मे आपको जानकारी देंगे |

तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र – ०८ है |

ऋतुचर्या ही इम्युनिटी बूस्टर याने प्रतिकार शक्ति बढाता है |

अगले विडियो मे हम जानते है की शरद ऋतु का आरोग्य मंत्र क्या है ?

तब तक के लिए Stay Healthy, Stay Blessed.

Thank you   

NAGPANCHAMI TEACHES US HEALTH MANTRA ( health mantra -05 )BLOG NO-35

Have you ever wondered if there is any role of festivals in keeping us healthy?

Like today is Nagpanchami ……so is there any SCIENCE behind diet and routine advised on Nagpanchami.

Changes in season brings about changes in our body too but we don’t make changes in diet and routine according to change in season so we fall sick.

So how will we know what changes to make in diet and routine to remain Healthy even during season change?

Therefore our ‘Hrishis’ kept festivals during season change, and they advised what diet and routine to be followed during season change as diet and routine of that Festival.

Surprised…..to know …..that there science in our culture and festivals too?

So let’s understand What diet and routine is advised on Nagpanchami?

1. Upvaas – as rainy season is still going on.

2.Don’t Cut and Fry.

3. Milk – Pittah Shamak – Kheer, halwa

Upvaas – Our digestion is governed by sun’s clock.In rainy days as sun is covered with clouds most time of day so our digestive power (agni) is weak. If we eat heavy to digest food then we tend to fall sick.So UPAVAAS is advised.

Do do not CUT and FRY– According to Ayurveda September and October is Pittah prakop Kaal means Pittah is  going to increases alot in these month. So as a prevention we are advised to slowly stop eating fried food advised in rainy season.

Milk – Milk we offer to Nagdevta which Symbolically initiates us to start consuming white things as white colour is pittah shamak ie it reduces pittah.

So all things advised on Nagpanchmi are Preventive measures againts october heat .

So our Health Mantra – 05 is

“Start eating white things, do upvaas and reduce eating fried food.”

The diet advised on one festival is not only for that day but that diet and routine should be followed from that festival till next festival.
So follow changes advised on festivals and remain HEALTHY

Stay Healthy Stay Blessed

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नागपंचमी हमे सिखाती है निरोगी रहने के उपाय | (आरोग्य मंत्र – ०५)Blog no- 34

कभी आपने सोचा है की त्यौहारो का हमे निरोगी रखने मे कोई महत्व है क्या ?

जैसे आज नागपंचमी है | नागपंचमी मे बताए गए आहार विहार का कुछ प्रयोचन है क्या ?

ऋतु मे जो बदलाव होते है उस नुसार हमारे शरीर मे भी बदलाव होते है, पर ऋतु के नुसार हम हमारे आहार विहार मे बदलाव नही करते इसलिए हम बीमार पड़ते है |

इसलिए हमारे ऋषियो ने ऋतु के बदलाव के समय त्यौहार बिठाये और ऋतु मे जो बदलाव हमे आहार विहार मे करने चाहिए वो उन त्यौहारो के अनुसार हमे बताए है |

जैसे अभी वर्षा ऋतु चल रहा है | वर्षा ऋतु के आहार विहार की जानकारी हमने बारिश के मौसम मे प्रतिकर शक्ती बढाने के उपाय विडियो मे पहले भी बताई है और विडियो की लिंक नीचे दी है |

तो वर्षा ऋतु मे हमने जाना की खट्टी चिजे जैसे दहि, छाछ, पनीर, fermented और बेकरी पदार्थ नही खाने चाहिए | वर्षा ऋतु में वात बढता है इसलिए तली हुई चीजे खानी चाहिए और पचन शक्ती कम होती इसलिए हल्का अन्न खाना चाहिए |

वर्षा ऋतु मे अभी श्रावण महिना आ गया | श्रावण मे वर्षा ऋतु मे थोडे बदलाव हुये है, याने बारिश कम हो रही है और धीरे धीरे धूप बढ़ रही है मतलब वात कम हो रहा है और धीरे धीरे पित्त का संचय चालू हो गया है | इसलिए आज नागपंचमी का त्यौहार आ गया |

जानते है नागपंचमी मे हमे क्या आहार विहार बदलाव बताए गए है –

  1. उपवास – आयुर्वेद नुसार हमारी पचनशक्ति सूरज की शक्ति से नियंत्रित होती है. बारिश में सूरज बादलो से ढका होता है इसलिए हमारी पचनशक्ति भी मंद होती है| ऐसे में हमने अगर पचन करने में भारी पदार्थ खाए तो हम बीमार पड़ेंगे इसलिए अभी ज्यादा उपवास करने चाहिए याने हल्का अन्न और मात्रा में कम अन्न खाना चाहिए |
  2. तलो मत काटो मत –आयुर्वेद नुसार सितम्बर और अक्टूबर यह पित्तप्रकोप काल है याने इस काल में पित्त बहुत बढ़ता है | तली हुई चीज़े पित्त और बढाती है | वर्षा ऋतु मे हम तली हुई चीजे खाते है, पर अभी पित्त बढने वाला है, इसलिए तली हुई चीजे खाना धीरे धीरे कम करना चाहिए |
  3. दूध – आज के दिन हम नाग देवता को दूध देते है | ये प्रतिक है की आज से हमने सफ़ेद चीजे ज्यादा खानी चाहिए| क्युकी आगे पित्त प्रकोप का काल आ रहा है | सफ़ेद चीजे पित्त शामक होती है |इसलिए दूध, दूध के पदार्थ , चावल ऐसी चीजे खाना शुरुवात करनी चाहिए|

नाग पंचमी में बताए सारे आहार विहार के बदलाव हमे आगे आने वाले पित्त प्रकोप से बचाने के लिए है| इसलिए हमने धीरे धीरे यह बदलाव करना शुरू किया तो हम अगले रुतु में निरोगी रहेंगे |

तो अभी आपने जाना की त्यौहार हमे निरोगी रहेने के उपाय बताने के लिए बनाये गए है |

त्यौहार होते है हमारे स्वास्थरक्षण के मार्गदर्शक |

इसलिए एक त्यौहार मे बताए गए आहार विहार के बदल हमे अगला त्यौहार आने तक रखने चाहिए |

इसलिए अभी नागपंचमी मे जो हमे बताए नियम वो हमे अगले त्यौहार आने तक करने चाहिए तो आप निरोगी रहोगे |

आज का आरोग्य मंत्र है –

” सफ़ेद चिजे खाना शुरू करो, उपवास करो और तली हुई चीजे खाना धीरे धीरे कम करो |”

ऐसे हर त्यौहार में बताये आहार विहार बदल को अपनाओ और निरोगी रहो |

Stay Healthy, Stay Blessed.

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