गणपतीजी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली, चिवडा क्यों नही खाते ? (आरोग्य मंत्र – ०९) Blog – 46

आपने कभी सोचा गणपती जी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली चिवडा क्यों नही खाते ?

सवाल जितना दिलजस्प है, जवाब भी उतना ही दिलजस्प है।

गणपती अक्टूबर की गर्मी के पहले आते है। और जैसे हमने पिछले ब्लॉग मे जाना ।

त्यौहार हमे ऋतु के नुसार आहार-विहार में क्या बदलाव करने चाहिए यह सिखाते है।

गणपती के बाद अक्टूबर की गर्मी आती है। गर्मी मे हम अगर बेसन की तली हुए चीजे जैसे चकली, चिवडा खाए तो प्यास और शरीर मे पित्त बढता है।

आयुर्वेद के नुसार अक्टूबर पित्त प्रकोप का काल है । इसलिए अक्टूबर मे पित्त बढाने वाली चीजे खाने से हमे सिरदर्द, पाइल्स, फिशर (बवासीर), पेट खराब होना, एसिडिटी ऐसी बिमारिया होती है। इसलिए अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए क्या खाना चाहिए यह बताने के लिए गणपती का त्यौहार आता है।

गर्मी मे पित्त कम करने वाली चिजे खानी चाहिए । जैसे सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुए पदार्थ।

यह सब गुण तो मोदक मे है।

इसलिए गणपती को हम मोदक प्रसाद मे चढाते है। क्योंकि मोदक हमे प्रतिकात्मक समझाते है की अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए यह गुणवाले पदार्थ खाने चाहिए।

  • सफेद पदार्थ याने दूध, दही, छाछ, पनीर, चावल,
  • मीठे पदार्थ याने विविध पकवान्न,
  • पानीयुक्त याने अलग अलग तरह के शरबत, ज्यूस,
  • नारियल युक्त पदार्थ याने नारियल का दूध,नारियल का पानी, नारियल की करी और
  • उबाली हुई चीजों का हमे सेवन करना चाहिए।

आज आपने जाना की गणपती जी मोदक क्यों खाते है।

गणपती जी ने बताया हुआ आरोग्य मंत्र है।

अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुई पदार्थ खाने चाहिए।

कैसे लगा हमारा ब्लॉग कमेंट करके जरूर बताए।

अगले सोमवार नए ब्लॉग के साथ मिलते है। तब तक अक्टूबर का आरोग्य मंत्र जरूर अपनाए।

Stay Healthy Stay Blessed

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